आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी ने ग्रामीण विकास में परिवर्तन के लिए निगरानी और मूल्यांकन (एम एंड ई) क्षमताओं को मजबूत करते हुए ‘विकसित भारत 2047’ की ओर कदम बढ़ाया
इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को मजबूत एम एंड ई सिस्टम को डिजाइन करने और लागू करने के लिए आवश्यक अत्याधुनिक ज्ञान, उपकरण और कार्यप्रणाली से लैस करना है।
राष्ट्रीय, 10 जनवरी 2025 : जयपुर में स्वास्थ्य प्रबंधन अनुसंधान के क्षेत्र में अग्रणी आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी की ओर से पांच दिवसीय प्रबंधन विकास कार्यक्रम (एमडीपी) आयोजित किया जा रहा है। 7 जनवरी से शुरू हुआ यह प्रबंधन विकास कार्यक्रम 11 जनवरी 2025 तक चलेगा। कार्यक्रम की थीम ‘मॉनिटरिंग एंड इवॉल्यूशन-डेटा ड्रिवन डिसीजन्स-स्ट्रेंथनिंग एम एंड ई केपेसिटीज फॉर ट्रांसफॉर्मेटिव चेंज’ रखी गई है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रतिभागियों को मजबूत एम एंड ई सिस्टम को डिजाइन करने और लागू करने के लिए आवश्यक अत्याधुनिक ज्ञान, उपकरण और कार्यप्रणाली से लैस करना है। यह कार्यक्रम एम एंड ई प्रथाओं में डेटा एनालिटिक्स को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करता है, जिससे प्रतिभागियों को जटिलताओं को नेविगेट करने, कार्यक्रम की प्रभावशीलता को मापने और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने में सक्षम बनाया जा सके।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले 26 प्रतिभागी जीविका, बिहार ग्रामीण आजीविका संवर्धन सोसायटी, राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, बिहार के निगरानी और मूल्यांकन अधिकारी हैं। ये अधिकारी बिहार राज्य में ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के उद्देश्य से विकासात्मक और हस्तक्षेप परियोजनाओं को लागू करने में प्रमुख हितधारक हैं।
इस पहल पर टिप्पणी करते हुए, आईआईएचएमआर यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट डॉ. पी आर सोडानी ने कहा, “हमारा संस्थान भविष्य के लिए समाधानों की एक श्रृंखला प्रदान करने के लिए टैक्नोलॉजी की बारीकियों को समझने के लिए समर्पित होकर प्रयास कर रहा है। जीविका अधिकारियों की भागीदारी विकासात्मक पहलों की प्रभावशीलता को बढ़ाने में निगरानी और मूल्यांकन की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। इन अधिकारियों को एडवांस टूल्स और कार्यप्रणाली से लैस करके, हमारा लक्ष्य ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने वाले प्रभावशाली कार्यक्रमों को डिजाइन करने, निगरानी करने और मूल्यांकन करने की उनकी क्षमता को मजबूत करना है। यह विकसित भारत 2047 के विजन के अनुरूप है, जो डेटा-संचालित और साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने के माध्यम से जमीनी स्तर के हस्तक्षेपों को सशक्त बनाकर एक आत्मनिर्भर और समावेशी भारत को बढ़ावा देता है।”
कार्यक्रम निगरानी और मूल्यांकन से संबंधित उपायों में डेटा एनालिटिक्स को एकीकृत करने के महत्व को रेखांकित करता है। इंटरैक्टिव सत्रों, केस स्टडीज़ और अनुभवजनित शिक्षण के माध्यम से, प्रतिभागी निगरानी और मूल्यांकन के प्रमुख सिद्धांतों के साथ डेटा-संचालित योजनाओं को डिज़ाइन करने और प्रदर्शन बेंचमार्क स्थापित करने की रणनीतियों को तैयार करने की दिशा में काम करेंगे। साथ ही वे कार्यक्रम की प्रभावशीलता को मापने और साक्ष्य-आधारित निर्णयों, नैतिक विचारों और एम एंड ई प्रक्रियाओं में अभिनव दृष्टिकोणों को निर्देशित करने के लिए आवश्यक रूपरेखाओं का भी पता लगाएंगे।
डेटा-संचालित निर्णय लेने के वर्तमान दौर में पाठ्यक्रम को एम एंड ई में पेशेवर क्षमता-निर्माण की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों को परिवर्तनकारी एम एंड ई सिस्टम को डिजाइन करने, संगठन के लक्ष्यों के साथ आवश्यक कदम उठाने और स्थायी परिणाम सुनिश्चित करने के लिए आत्मविश्वास और क्षमता के साथ प्रयास करने की दिशा में प्रोत्साहित किया जाएगा।