मुंबई : गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर आरके एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर ने तारवाड़ी अमरोली सूरत में टीबी मुक्त आरोग्य शिविर का आयोजन किया, जिसमें एसबीआई फाउंडेशन का भरपूर सहयोग मिला। यहां मुख्य अतिथि एसबीआई फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक श्री संजय प्रकाश, एसबीआई के मैनेजर राजा राम चव्हाण ने कैम्प का उद्घाटन किया। इस टीबी मुक्त चिकित्सा शिविर में लगभग 4900 रोगियों ने टीबी की रोकथाम और इलाज का लाभ उठाया, साथ ही यहां व्हीलचेयर, चश्मे, दवाओं का वितरण भी किया गया। यहां विभिन्न क्षेत्रो के 34 से अधिक डॉक्टरों ने हिस्सा लिया।
आरके एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि यहां हमने 34 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को नियुक्त किया, जिन्होंने आदिवासी लोगों को मुफ्त सेवाएं दी हैं, जिनमें टीबी टेस्ट 1900, सिकल सेल टेस्ट लगभग 1200, आंखों की जांच 2500 और लगभग 2300 चश्मे वितरित किए गए। दांतों की जांच, ब्लड ग्रुप टेस्ट लगभग 1500 , एचआईवी ब्लड शुगर टेस्ट 150, बोन डेंसिटी टेस्ट लगभग 90, ब्लड ग्रुपिंग टेस्ट लगभग 1200, ईसीजी टेस्ट 300 किये गए और 12 व्हीलचेयर वितरित की गई। इसके लिए हमने 5 एकड़ क्षेत्र में मंडप भी बनाया था और सभी रोगियों के लिए भोजन और पीने के पानी की व्यवस्था की गई थी। इस कैंप में टीबी के साथ साथ एनीमिया, एचआईवी, हेपेटाइटिस की भी जांच की गई। आरके एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर का लक्ष्य है कि 6 हजार से 10 हजार तक टीबी के मरीजों का इलाज किया जा सके। सूरत, भरूच, दान व्यारा के लोगों को टीबी से मुक्त किया जा सके।
आरके एचआईवी एड्स रिसर्च एंड केयर सेंटर के अध्यक्ष डॉ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है कि 2025 तक भारत से टीबी को खत्म कर सकें। उसी मुहिम के अंतर्गत हमने 31 मार्च से यह अभियान शुरू किया है। १४ जून को बड़े पैमाने पर इसका कैम्प रखा गया। कुपोषण के शिकार लोगों को राशन किट्स का भी वितरण किया गया।"
डॉ धर्मेंद्र कुमार ने आगे बताया कि जांच के बाद यहां जितने भी टीबी के मरीज निकले, उनके लिए 6 महीने, एक साल तक के इलाज का प्रबंध किया जाएगा। सूरत के इर्दगिर्द के 4 जिलों को टीबी मुक्त करने का हमारा मिशन है। सूरत में हमने इस हेल्थ कैम्प के आयोजन के साथ ऑफिस की ओपनिंग भी की। साइक्लोन जैसे तूफान से फाइट करते हुए हमने इस कैम्प का सफलतापूर्वक आयोजन किया। हमारी नर्सें गांव गांव विजिट कर के लोगों की टीबी की जांच करती हैं, अगर कोई पॉज़िटिव मरीज निकलता है तो उसके इलाज की प्रक्रिया शुरू की जाती है।